शेर का पिंजरा
Akbar and Birbal stories in Hindi – यह बच्चों के लिए प्रसिद्ध अकबर और बीरबल की कहानियो में से एक है। फारस के बादशाह अकबर को पहेलियां भेजा करते थे। अकबर बदले में फारसी सम्राट को पहेलियां भी भेजता था। दोनों अच्छे दोस्त थे।
एक बार, फारसी सम्राट ने एक कृत्रिम शेर के साथ एक बड़ा पिंजरा भेजा था। पिंजरे में बंद शेर ऐसा लग रहा था जैसे वह असली हो। दरबार में जब पिंजरा पहुंचा तो कई दरबारी डर गए। कुछ तो खंभों के पीछे छिपने भी चले गए। बादशाह अकबर की भी दिल की धड़कन बढ़ रही थी। शेर का मुँह दो बड़े उभरे हुए दाँतों से खुला हुआ था।
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पिंजरा लाने वाले लोगों ने बादशाह को सलाम किया और कहा, “हमारे बादशाह ने यह पिंजरा भेजा है और वह जानना चाहता है कि क्या आपका कोई देशवासी पिंजरे को तोड़े बिना या फिर शेर की मुद्रा बदले बिना शेर को पिंजरे से बाहर निकाल सकते है।” सब हैरान थे। कोई नहीं कर पाया। सभी तीर्थ यात्रा पर गए बीरबल की प्रतीक्षा कर रहे थे। एक महीने में बीरबल के आने की उम्मीद थी। समस्या के समाधान के लिए केवल बीस दिन का समय दिया गया था। अकबर चिंतित थे।
अगले दिन अब्दुल फैजल और फावजी ने शेर के शरीर को तोड़कर उसे पिंजरे से बाहर निकालने की पेशकश की। यह संभव नहीं था। शेर का शरीर किसी धातु का बना हुआ था।
सौभाग्य से, बीरबल जल्दी वापस आ गए क्योंकि उनकी पत्नी यात्रा के दौरान गर्मी सहन नहीं कर सकती थी। अकबर ने तुरंत उसे बुलावा भेजा और पिंजरा दिखाया। बीरबल ने पिंजरे और शेर की सावधानीपूर्वक जांच की और समस्या को हल करने के लिए एक दिन का समय मांगा। अकबर को विश्वास था कि बीरबल इसे हल करने में सक्षम होंगे। बीरबल ने पाया कि शेर मोम से बना था और उसे एक धातु का लेप दिया गया था।
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अगले दिन वह लोहे की छड़ी लेकर आया। जब वह दरबार में आया, तो बीरबल ने अपने परिचारक से कहा कि वह छड़ी को तब तक गर्म करे जब तक कि वह लाल न हो जाए। छड़ी में लकड़ी का हैंडल था। बीरबल लाल गर्म छड़ी को शेर के पास ले गया। मोम का शेर गर्मी में पिघलने लगा। कुछ ही मिनटों में, शेर का पूरा शरीर पिघल गया।
अब पिंजरे में कोई शेर नहीं था। पहेली सुलझ गई। अकबर बहुत खुश हुए। सभी दरबारियों ने बीरबल की प्रशंसा की।